सुख दुख सुविचार
सुख और दुख जीवन के दो पहिए हैं, दोनों का संतुलन ही जीवन को पूर्ण बनाता है।
सुख और दुख समय की तरह बदलते रहते हैं, धैर्य ही सबसे बड़ा उपाय है।
सुख में विनम्र और दुख में धैर्यवान रहना ही सच्चा जीवन है।
दुख की रात के बाद ही सुख की सुबह आती है।
सुख-दुख में समान रहने वाला ही सच्चा ज्ञानी है।
सुख और दुख दोनों ही अनुभव हमें मजबूत बनाते हैं।
दुख हमें जीवन का सच्चा मूल्य समझाता है।
सुख हमें आनंद देता है और दुख हमें सीख।
सुख-दुख से परे रहना ही सच्चा योग है।
सुख और दुख एक सिक्के के दो पहलू हैं।
सुख बाँटने से बढ़ता है और दुख बाँटने से घटता है।
जीवन का रंग सुख और दुख से ही है।
सुख-दुख का चक्र जीवन का स्वाभाविक नियम है।
दुख के बिना सुख का महत्व समझा ही नहीं जा सकता।
सुख हमें आभार सिखाता है और दुख हमें धैर्य।
सुख और दुख दोनों ही ईश्वर की देन हैं।
सुख और दुख में संतुलन ही जीवन की कला है।
सुख मिलने पर अभिमान न करो और दुख आने पर निराश न हो।
सुख और दुख हमें जीवन की गहराई से जोड़ते हैं।
सुख-दुख से गुजर कर ही आत्मा का विकास होता है।
सुख का अनुभव दुख के बिना अधूरा है।
दुख हमें दूसरों के दुख को समझना सिखाता है।
सुख में कृतज्ञता और दुख में सहनशीलता जरूरी है।
सुख-दुख की धूप-छांव ही जीवन की यात्रा है।
सुख-दुख मन की स्थिति है, वस्तुओं की नहीं।
दुख हमें सिखाता है कि असली ताकत भीतर है।
सुख और दुख दोनों ही जीवन के शिक्षक हैं।
सुख से मतवाला मत बनो और दुख से टूटो मत।
सुख-दुख का उतार-चढ़ाव ही जीवन को जीवंत बनाता है।
सुख और दुख अनुभवों की किताब के अध्याय हैं।
सुख और दुख दोनों क्षणिक हैं।
दुख हमें आंतरिक शक्ति का बोध कराता है।
सुख से जीवन सुंदर बनता है और दुख से अर्थपूर्ण।
दुख आने पर मनुष्य की असली पहचान होती है।
सुख और दुख दोनों ही जीवन की कसौटी हैं।
सुख और दुख मित्र और शत्रु की तरह साथ चलते हैं।
दुख हमें जीवन की सच्चाई से मिलाता है।
सुख हमें समाज से जोड़ता है, दुख हमें ईश्वर से।
सुख और दुख दोनों को स्वीकारना ही सच्ची शांति है।
दुख ही वह धागा है जो हमें और मजबूत बनाता है।
सुख और दुख नदी की लहरों की तरह आते-जाते रहते हैं।
सुख में विनम्रता और दुख में धैर्य सबसे बड़ा गुण है।
सुख और दुख दोनों को समझने वाला ही ज्ञानी है।
सुख का अहंकार और दुख का अवसाद दोनों ही हानिकारक हैं।
सुख-दुख का संतुलन ही जीवन की पूर्णता है।
दुख जीवन की किताब का कठिन पाठ है।
सुख और दुख में समान बने रहना ही साधना है।
दुख हमें यह सिखाता है कि समय बदलता है।
सुख से मतवाला न हो और दुख से विचलित न हो।
दुख ही सुख का वास्तविक मूल्य सिखाता है।
सुख और दुख दोनों हमें जीवन की परीक्षा देते हैं।
दुख में भी अवसर छुपा होता है।
सुख का अहंकार और दुख का डर छोड़ो।
सुख और दुख दोनों ही जीवन को रंगीन बनाते हैं।
दुख हमें करुणा का पाठ पढ़ाता है।
सुख हमें आशा देता है और दुख हमें धैर्य।
सुख-दुख का चक्र ही संसार का नियम है।
दुख में जो शांत रहता है वही सच्चा वीर है।
सुख से मन खिलता है और दुख से आत्मा।
दुख जीवन का सबसे बड़ा शिक्षक है।
सुख का अहंकार न करो और दुख से हार मत मानो।
सुख-दुख का संगम ही जीवन है।
सुख और दुख से ही इंसान का चरित्र बनता है।
सुख-दुख दोनों ही अस्थायी हैं।
दुख का अंधेरा ही सुख की रोशनी को चमकाता है।
सुख और दुख दोनों ही जीवन यात्रा के पड़ाव हैं।
दुख में जो मुस्कुराता है वही सच्चा इंसान है।
सुख-दुख हमें याद दिलाते हैं कि जीवन नश्वर है।
सुख और दुख दोनों से हमें सीख लेनी चाहिए।
दुख हमें दूसरों का दर्द समझना सिखाता है।
सुख और दुख मनुष्य को संतुलन का पाठ पढ़ाते हैं।
सुख-दुख का मिलन ही जीवन की सच्चाई है।
सुख और दुख दोनों को स्वीकारना ही सच्चा धर्म है।
दुख में धैर्य और सुख में विनम्रता से जीवन सुंदर बनता है।
सुख और दुख मन की लहरें हैं।
दुख ही आत्मा का शोधन करता है।
सुख और दुख में समानता रखने वाला ही ज्ञानी है।
सुख-दुख की यात्रा हमें परिपक्व बनाती है।
दुख हमें भीतर से मजबूत करता है।
सुख जीवन की मिठास है और दुख उसका स्वाद।
दुख आने पर मनुष्य की सच्ची शक्ति सामने आती है।
सुख और दुख दोनों ही ईश्वर की योजना का हिस्सा हैं।
दुख हमें जीवन की असली सच्चाई सिखाता है।
सुख और दुख से परे जाना ही मुक्ति है।
दुख हमें आत्मा से जोड़ता है।
सुख और दुख जीवन की दो राहें हैं।
दुख ही इंसान को महान बनाता है।
सुख और दुख दोनों से हमें सीख मिलती है।
दुख में जो उम्मीद रखता है वही विजयी होता है।
सुख का आनंद दुख के बिना अधूरा है।
दुख से डरना नहीं, उससे सीखना चाहिए।
सुख और दुख मन की अवस्था हैं।
दुख हमें ईश्वर के और करीब लाता है।
सुख और दुख जीवन का नियम हैं।
सुख से हृदय हल्का होता है और दुख से आत्मा गहरी।
दुख ही जीवन की असली परख है।
सुख और दुख दोनों ही क्षणभंगुर हैं।
दुख हमें सहनशीलता सिखाता है।
सुख में ईश्वर का धन्यवाद करो और दुख में प्रार्थना।
सुख और दुख दोनों ही यात्रा के साथी हैं।
दुख आने पर ही इंसान मजबूत बनता है।
सुख-दुख का संगम ही जीवन की धारा है।
दुख आत्मा को निर्मल करता है।
सुख और दुख दोनों ही अनुभव हमें गढ़ते हैं।
दुख हमें जीवन का असली पाठ पढ़ाता है।
सुख और दुख से गुजर कर ही इंसान परिपक्व होता है।
दुख का समय भी सीख का समय है।
सुख हमें हँसना सिखाता है और दुख रुलाकर सिखाता है।
दुख हमें समझदार बनाता है।
सुख और दुख दोनों को स्वीकारने वाला ही सच्चा ज्ञानी है।
दुख इंसान को संवेदनशील बनाता है।
सुख और दुख में समानता ही धर्म है।
दुख हमें आत्म-ज्ञान की ओर ले जाता है।
सुख हमें आनंद देता है और दुख आत्मबल।
दुख से इंसान का हृदय कोमल होता है।
सुख और दुख दोनों का महत्व अलग-अलग है।
दुख जीवन का आवश्यक सत्य है।
सुख और दुख दोनों हमें ईश्वर की लीला समझाते हैं।
दुख हमें विनम्र बनाता है।
सुख और दुख में संतुलन रखना ही बुद्धिमानी है।
दुख हमें भीतर से तपाकर सोना बनाता है।
सुख जीवन को हल्का करता है और दुख गहरा।
दुख का समय ही आत्म-चिंतन का समय है।
सुख और दुख दोनों से इंसान का व्यक्तित्व निखरता है।
दुख हमें दूसरों के प्रति करुणावान बनाता है।
सुख और दुख दोनों का मूल्य समझना ही सच्चा जीवन है।
दुख हमें आत्मा की शक्ति का एहसास कराता है।
सुख और दुख जीवन का स्वाभाविक प्रवाह है।
सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, दोनों जीवन को पूर्ण बनाते हैं।
दुख हमें सिखाता है कि सुख की कीमत क्या है।
जो दुख सह लेता है, वही सच्चे सुख का आनंद उठा पाता है।
सुख क्षणिक होता है, पर दुख गहरा ज्ञान दे जाता है।
दुख की रात के बाद ही सुख की सुबह होती है।
सुख-दुख जीवन की चलती फिरती परछाइयाँ हैं।
दुखी होकर भी मुस्कुराना ही जीवन की सबसे बड़ी कला है।
सुख में विनम्र और दुख में धैर्यवान रहना ही महानता है।
सुख बाँटने से बढ़ता है, दुख बाँटने से घटता है।
दुख हमें मजबूत बनाता है और सुख हमें संतोष सिखाता है।
सुख और दुख से परे जो रहता है, वही सच्चा ज्ञानी है।
दुख के बिना सुख की पहचान संभव नहीं।
सुख-दुख को समान भाव से स्वीकारना ही संतुलन है।
सुख की चाह सबको है, पर दुख से कोई बच नहीं सकता।
सुख-दुख के अनुभव से ही इंसान परिपक्व होता है।
दुख के आँसू आत्मा को शुद्ध करते हैं।
सुख का महत्व तभी समझ आता है जब दुख छूकर गुजरता है।
दुख जीवन का शिक्षक है और सुख उसका पुरस्कार।
सुख और दुख दोनों ईश्वर के दिए हुए वरदान हैं।
दुख का अंधेरा हमें सुख के उजाले की ओर ले जाता है।
सुख-दुख का चक्र ही संसार का नियम है।
दुख में जो इंसान टूटता नहीं, वही सच्चा योद्धा है।
सुखी वही है, जो दुख में भी आशा न खोए।
सुख-दुख मन की स्थिति है, वस्तुओं से नहीं।
दुख में ही इंसान अपने असली मित्र पहचानता है।
सुख से अहंकार आता है और दुख से विनम्रता।
दुख सहन करना भी एक तपस्या है।
सुख-दुख का खेल ही जीवन का असली नाटक है।
दुख जीवन की गहराई को छूने का अवसर देता है।
सुख की चाहना दुख की जड़ है।
सुख और दुख को भगवान का प्रसाद मानकर स्वीकारें।
दुख के बाद आने वाला सुख और भी मधुर होता है।
सुख और दुख दोनों ही अस्थायी यात्री हैं।
दुख से गुज़रने वाला इंसान दूसरों के दर्द को समझता है।
सुख जीवन में रंग भरता है, दुख गहराई।
सुख-दुख जीवन की धड़कनों की तरह हैं।
दुख आत्मा की मजबूती का परिचायक है।
सुख का स्वाद दुख के बिना अधूरा है।
दुख से जूझकर ही आत्मा परिपक्व होती है।
सुख और दुख मनुष्य की परीक्षा लेने के साधन हैं।
सुख पाने की जल्दी में दुख को मत भूलो।
दुख हमें आत्मचिंतन की ओर ले जाता है।
सुख-दुख जीवन के अनुभवों का खजाना हैं।
सुख की राह अक्सर दुख से होकर जाती है।
दुख हमें भीतर से नया बनाता है।
सुख की अनुभूति दिल को हल्का करती है।
दुख हमें करुणा सिखाता है।
सुख और दुख का मिलन ही जीवन का संगीत है।
दुख इंसान को खुद से मिलाता है।
सुख हमें आनंद देता है, दुख हमें ज्ञान।
सुख-दुख दोनों ही क्षणिक हैं, इन्हें गंभीरता से मत लो।
दुख की गहराई में ही सुख की ऊँचाई छिपी होती है।
सुख में कृतज्ञ रहो और दुख में धैर्यवान।
सुख-दुख के चक्र में संतुलन ही जीवन की कुंजी है।
दुख में डूबा दिल ही सच्ची प्रार्थना करता है।
सुख मन की प्रसन्नता है, दुख मन की कसौटी।
दुख हमें असली रिश्तों का महत्व सिखाता है।
सुख और दुख दोनों समय के साथ गुजर जाते हैं।
दुख से डरने वाला सुख की कीमत नहीं जानता।
सुख-दुख के बिना जीवन अधूरा है।
सुख हमें जीवन की सुंदरता दिखाता है।
दुख हमें सहानुभूति की राह पर ले जाता है।
सुख-दुख एक ही रस्सी के दो सिरे हैं।
दुख अंधकार है, सुख प्रकाश।
सुख और दुख जीवन के शिक्षक हैं।
दुख गहराई लाता है, सुख हल्कापन।
सुख-दुख का खेल ईश्वर की लीला है।
दुख को हृदय से अपनाने वाला ही सुखी होता है।
सुख और दुख दोनों ही जीवन की यात्रा के साथी हैं।
सुख और दुख जीवन के दो पहिए हैं, दोनों का संतुलन ही जीवन को चलाता है।
दुख की घड़ी में धैर्य रखना ही सुख की ओर पहला कदम है।
सुख में विनम्र और दुख में धैर्यवान रहना ही सच्चा जीवन है।
जो व्यक्ति दुख में भी मुस्कुराता है, वह सच्चा विजेता है।
सुख और दुख दोनों ही हमें जीवन का सच्चा अर्थ सिखाते हैं।
दुख की रात जितनी गहरी होती है, सुबह का सुख उतना ही उज्ज्वल होता है।
सुख-दुख स्थायी नहीं, ये केवल जीवन के मेहमान हैं।
दुख का सामना करने से इंसान और मजबूत बनता है।
सुख बांटने से बढ़ता है और दुख बांटने से घटता है।
जीवन में दुख का स्वाद न हो, तो सुख का महत्व नहीं समझ आता।
सुख और दुख दोनों ही आत्मा के शिक्षक हैं।
दुख में भी आशा बनाए रखना जीवन का साहस है।
सुख पाने की चाह छोड़ दो, दुख अपने आप मिट जाएगा।
दुख हमें सिखाता है कि इंसानियत कितनी कीमती है।
सुख-दुख का चक्र जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है।
सुख से नम्रता और दुख से सहनशीलता पैदा होती है।
दुख हमें ईश्वर के करीब ले जाता है।
सुख हमें बाहर की दुनिया से जोड़ता है, दुख हमें भीतर से मजबूत बनाता है।
जो सुख में घमंड नहीं करता और दुख में हार नहीं मानता, वही महान है।
दुख की छाया से गुजरकर ही सुख का सूरज चमकता है।
सुख और दुख दोनों ही समय की देन हैं, इसलिए धैर्य रखो।
दुख का सामना करने से आत्मा की शक्ति बढ़ती है।
सुख-दुख के बिना जीवन अधूरा है।
दुख को हराना ही सच्चा सुख है।
सुख और दुख की लहरें हमें सागर की तरह गहराई देती हैं।
दुख को अनुभव करने वाला ही सच्चे सुख को पहचानता है।
सुख-दुख दोनों ही मित्र हैं, जो जीवन का रंग भरते हैं।
सुख की कद्र वही कर सकता है जिसने दुख झेला हो।
दुख से मिला अनुभव ही जीवन का सबसे बड़ा खजाना है।
सुख में कृतज्ञता और दुख में धैर्य, यही जीवन का मूल मंत्र है।
सुख और दुख के संगम से ही जीवन सुंदर बनता है।
दुख हमें अपनी सीमाओं से बाहर निकलना सिखाता है।
सुख हमें आनंद देता है और दुख हमें ज्ञान देता है।
सुख-दुख की कहानी हर इंसान की आत्मा लिखती है।
दुख हमें प्रेम की गहराई समझाता है।
सुख और दुख दोनों ही जीवन के साथी हैं, इन्हें स्वीकार करना सीखो।
सुख की चाह कम और दुख की सहनशीलता अधिक होनी चाहिए।
दुख की घड़ी में सच्चे मित्र का साथ सबसे बड़ा सुख है।
सुख क्षणिक है, दुख शिक्षाप्रद है।
दुख हमें विनम्र बनाता है और सुख हमें आत्मविश्वासी।
सुख और दुख दोनों ही हमारे व्यक्तित्व को तराशते हैं।
दुख में धैर्य और सुख में संयम जीवन को सफल बनाते हैं।
सुख और दुख जीवन के दो रंग हैं, दोनों से ही चित्र सुंदर बनता है।
दुख की घड़ी हमें आत्मचिंतन का अवसर देती है।
सुख में उदार और दुख में सहनशील रहना ही श्रेष्ठता है।
दुख हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं।
सुख और दुख की डोर से ही रिश्ते मजबूत बनते हैं।
सुख का मूल्य दुख से ही समझ आता है।
दुख हमें आत्मबल का महत्व समझाता है।
सुख और दुख दोनों ही जीवन यात्रा के शिक्षक हैं।